सुरु अल्लाह के नाम से
जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है l
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☆ पढ़ो, अपने रब के नाम के साथजिसने पैदा किया, (1)
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☆ पैदा किया मनुष्य को जमे हुए ख़ून के एक लोथड़े से। (2) _______________________________
☆ पढ़ो, हाल यह है कि तुम्हारा रब बड़ा ही उदार है, (3) _______________________________
☆ जिसने क़लम के द्वारा शिक्षा दी, (4) _______________________________
☆ मनुष्य को वह ज्ञान प्रदानकिया जिसे वह न जानता था। (5) _______________________________
☆ कदापि नहीं, मनुष्य सरकशी करता है, (6) इसलिए कि वह अपने आपको आत्मनिर्भर देखता है। (7)
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☆ निश्चय ही तुम्हारे रब ही की ओर पलटना है। (8)
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☆ क्या तुमने देखा उस व्यक्ति को। (9) जो एक बन्दे को रोकता है, जब वह नमाज़ अदा करता है? - (10)
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☆ तुम्हारा क्या विचार है? यदि वह सीधे मार्ग पर हो, (11)
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☆ या परहेज़गारी का हुक्म दे(उसके अच्छा होने में क्या संदेह है) (12)
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☆ तुम्हारा क्या विचार है? यदि उस (रोकनेवाले) ने झुठलाया और मुँह मोड़ा (तो उसके बुरा होने में क्या संदेह है)। - (13)
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☆ क्या उसने नहीं जाना कि अल्लाह देख रहा है? (14)
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☆ कदापि नहीं, यदि वह बाज़ न आया तो हम चोटी पकड़कर घसीटेंगे, (15)
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☆ झूठी, ख़ताकार चोटी। (16)
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☆ अब बुला ले वह अपनी मजलिस को! (17)
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☆ हम भी बुलाए लेते हैं सिपाहियों को। (18)
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☆ कदापि नहीं, उसकी बात न मानो और सजदे करते और क़रीब होते रहो। (19)
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