सुरु अल्लाह के नाम से
जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
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☆ जब सूर्य लपेट दिया जाएगा, (1)
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☆ जब तारे मैले हो जाएँगे,(2)
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☆ जब पहाड़ चलाए जाएँगे, (3)
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☆ जब दस मास की गाभिन ऊँटनियाँ आज़ाद छोड़ दी जाएँगी, (4)
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☆ जब जंगली जानवर एकत्र किए जाएँगे, (5)
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☆ जब समुद्र भड़का दिए जाएँगे,(6)
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☆ जब लोग क़िस्म-क़िस्म कर दिए जाएँगे, (7)
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☆ और जब जीवित गाड़ी गई लड़की से पूछा जाएगा, (8)
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☆ कि उसकी हत्या किस गुनाह के कारण की गई, (9)
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☆ और जब कर्म-पत्र फैला दिए जाएँगे, (10)
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☆ और जब आकाश की खाल उतार दी जाएगी, (11)
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☆ जब जहन्नम को दहकाया जाएगा, (12)
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☆ और जब जन्नत निकट कर दी जाएगी, (13)
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☆ तो कोई भी व्यक्ति जान लेगा कि उसने क्या उपस्थित किया है। (14)
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☆ अतः नहीं! मैं क़सम खाता हूँ पीछे हटनेवालों की, (15)
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☆ चलनेवालों, छिपने-दुबकने-वालों की। (16)
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☆ साक्षी है रात्रि जब वह प्रस्थान करे, (17)
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☆ और साक्षी है प्रातः जब वह साँस ले। (18)
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☆ निश्चय ही वह एक आदरणीय संदेशवाहक की लाई हुई वाणी है, (19)
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☆ जो शक्तिवाला है, सिंहासनवाले के यहाँ जिसकी पैठ है। (20)
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☆ उसका आदेश माना जाता है, वहाँ वह विश्वासपात्र है। (21)
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☆ तुम्हारा साथी कोई दीवाना नहीं, (22)
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☆ उसने तो (पराकाष्ठा के) प्रत्यक्ष क्षितिज पर होकर उस (फ़रिश्ते) को देखा है। (23)
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☆ और वह परोक्ष के मामले में कृपण (कंजूस) नहीं है, (24)
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☆ और वह (क़ुरआन) किसी धुतकारे हुए शैतान की लाई हुईवाणी नहीं है। (25)
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☆ फिर तुम किधर जा रहे हो? (26)
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☆ वह तो सारे संसार के लिए बसएक याददिहानी है, (27)
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☆ उसके लिए तो तुममें से सीधेमार्ग पर चलना चाहे।(28)
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☆ और तुम नहीं चाह सकते सिवाय इसके कि सारे जहान का रब अल्लाह चाहे। (29)
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