नामाज »
़( उर्दू: نماز) या सलाह
(अरबी: صلوة),
नमाज फारसी शब्द है,
जो उर्दू में अरबी शब्द सलात का पर्याय है।
कुरान शरीफ में सलात शब्द बार-बार आया है
और प्रत्येक मुसलमान स्त्री और पुरुष को नमाज पढ़ने का आदेश ताकीद के साथ दिया गया है।
इस्लाम के आरंभकाल से ही नमाज की प्रथा
और उसे पढ़ने का आदेश है।
यह मुसलमानों का बहुत बड़ा कर्तव्य है
और इसे नियमपूर्वक पढ़ना पुण्य तथा त्याग देना पाप है।
पाँच नमाजें प्रत्येक मुसलमान के लिए प्रति दिन पाँच समय की नमाज पढ़ने का विधान है।
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*.नमाज -ए-फजर
(उषाकाल की नमाज)-
यहपहली नमाज है जो प्रात: काल सूर्य के उदय होने के पहले पढ़ीजाती है।
*.नमाज-ए-जुह्ल
(अवनतिकाल की नमाज)
यह दूसरी नमाज है जो मध्याह्न सूर्य के ढलना शुरु करने के बाद पढ़ी जाती है।
*.नमाज -ए-अस्र
(दिवसावसान की नमाज)-
यह तीसरी नमाज है जो सूर्य के अस्त होने के कुछ पहलेहोती है।
*.नमाज-ए-मगरिब
(पश्चिम की नमाज)-
चौथी नमाज जो सूर्यास्त के तुरंत बाद होती है।
*.नमाज-ए-अशा
(रात्रि की नमाज)-
अंतिम पाँचवीं नमाज जो सूर्यास्त के डेढ़ घंटे बाद पढ़ी जाती है।
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