सुरु अल्लाह के नाम से
जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
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☆ अल्लाह ने उस स्त्री की बातसुन ली जो अपने पति के विषय में तुमसे झगड़ रही है और अल्लाह से शिकायत किए जाती है। अल्लाह तुम दोनों की बातचीत सुन रहा है। निश्चय हीअल्लाह सब कुछ सुननेवाला, देखनेवाला है। (1)
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☆ तुममें से जो लोग अपनी स्त्रियों से ज़िहार करते हैं, उनकी माएँ वे नहीं हैं, उनकी माएँ तो वही हैं जिन्होंने उनको जन्म दिया है। यह अवश्य है कि वे लोग एक अनुचित बात और झूठ कहते हैं। और निश्चय ही अल्लाह टाल जानेवाला अत्यन्त क्षमाशील है। (2)
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☆ जो लोग अपनी स्त्रियों से ज़िहार करते हैं; फिर जो बात उन्होंने कही थी उससे रुजू करते हैं, तो इससे पहले कि दोनों एक-दूसरे को हाथ लगाएँ एक गर्दन आज़ाद करनी होगी। यहवह बात है जिसकी तुम्हें नसीहत की जाती है, और तुम जो कुछ करते हो अल्लाह उसकी ख़बररखता है। (3)
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☆ किन्तु जिस किसी को ग़ुलामप्राप्त न हो तो वह निरन्तर दो माह रोज़े रखे, इससे पहले कि वे दोनों एक-दूसरे को हाथ लगाएँ और जिस किसी को इसकी भी सामर्थ्य न हो तो साठ मुहताजों को भोजन कराना होगा। यह इसलिए कि तुम अल्लाहऔर उसके रसूल पर ईमानवाले सिद्ध हो सको। ये अल्लाह की निर्धारित की हुई सीमाएँ हैं। और इनकार करनेवाले के लिए दुखद यातना है। (4)
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☆ जो लोग अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं, वे अपमानित और तिरस्कृत होकर रहेंगे, जैसे उनसे पहले के लोग अपमानित और तिरस्कृत हो चुके हैं। हमने स्पष्ट आयतें अवतरित कर दी हैं और इनकार करनेवालों के लिए अपमानजनक यातना है। (5)
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☆ जिस दिन अल्लाह उन सबको उठा खड़ा करेगा और जो कुछ उन्होंने किया होगा, उससे उन्हें अवगत करा देगा। अल्लाह ने उसकी गणना कर रखी है, और वे उसे भूले हुए हैं, औरअल्लाह हर चीज़ का साक्षी है।(6)
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☆ क्या तुमने इसको नहीं देखाकि अल्लाह जानता है जो कुछ आकाशों में है और जो कुछ धरती में है। कभी ऐसा नहीं होता कि तीन आदमियों की गुप्त वार्ता हो और उनके बीच चौथा वह (अल्लाह) न हो। और न पाँच आदमियों की होती है जिसमें छठा वह न होता हो। और न इससे कम की कोई होती है और न इससे अधिक की भी, किन्तु वह उनके साथ होता है, जहाँ कहीं भी वे हों; फिर जो कुछ भी उन्होंने किया होगा क़ियामत के दिन उससे वह उन्हें अवगत करा देगा। निश्चय ही अल्लाह को हरचीज़ का ज्ञान है। (7)
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☆ क्या तुमने उन्हें नहीं देखा जिन्हें कानाफूसी से रोका गया था, फिर वे वही करते रहे जिससे उन्हें रोका गया था। वे आपस में गुनाह और ज़्यादती और रसूल की अवज्ञा की कानाफूसी करते हैं। और जब तुम्हारे पास आते हैं तो तुम्हारे प्रति अभिवादन के ऐसे शब्द प्रयोग में लाते हैंजो शब्द अल्लाह ने तुम्हारे लिए अभिवादन के लिए नहीं कहे।और अपने जी में कहते हैं, "जो कुछ हम कहते हैं उसपर अल्लाह हमें यातना क्यों नहीं देता?"उनके लिए जहन्नम ही काफ़ी है जिसमें वे प्रविष्ट होंगे। वह तो बहुत बुरी जगह है, अन्त में पहुँचने की! (8)
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☆ ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम आपस में गुप्त वार्ता करो तो गुनाह और ज़्यादती और रसूल कीअवज्ञा की गुप्त वार्ता न करो, बल्कि नेकी और परहेज़गारी के विषय में आपस में एकान्त वार्ता करो। और अल्लाह का डर रखो, जिसके पास तुम इकट्ठे होगे। (9)
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☆ वह कानाफूसी तो केवल शैतान की ओर से है, ताकि वह उन्हें ग़म में डाले जो ईमान लाए हैं। हालाँकि अल्लाह की अनुज्ञा के बिना उसे कुछ भी हानि पहुँचाने की सामर्थ्य प्राप्त नहीं। और ईमानवालों को तो अल्लाह ही पर भरोसा रखना चाहिए।(10)
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☆ ऐ ईमान लानेवालो! जब तुमसे कहा जाए कि मजलिसों में जगह कुशादा कर दो, तो कुशादगी पैदा कर दो। अल्लाह तुम्हारे लिए कुशादगी पैदा करेगा। और जब कहा जाए कि उठ जाओ, तो उठ जाया करो। तुममें से जो लोग ईमान लाए हैं और जिन्हें ज्ञान प्रदान किया गया है, अल्लाह उनके दरजों को उच्चता प्रदान करेगा। जो कुछ तुम करते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है। (11)
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☆ ऐ ईमान लानेवालो! जब तुम रसूल से अकेले में बात करो तो अपनी गुप्त वार्ता से पहले सदक़ा दो। यह तुम्हारे लिए अच्छा और अधिक पवित्र है। फिरयदि तुम अपने को इसमें असमर्थपाओ, तो निश्चय ही अल्लाह बड़ा क्षमाशील, अत्यन्त दयावान है। (12)
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☆ क्या तुम इससे डर गए कि अपनी गुप्त वार्ता से पहले सदक़े दो? तो जब तुमने यह न किया और अल्लाह ने तुम्हें क्षमा कर दिया तो नमाज़ क़ायमकरो, ज़कात देते रहो और अल्लाह और उसके रसूल की आज्ञाका पालन करो। और तुम जो कुछ भीकरते हो अल्लाह उसकी पूरी ख़बर रखता है।(13)
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☆ क्या तुमने उन लोगों को नहीं देखा जिन्होंने ऐसे लोगों को मित्र बनाया जिनपर अल्लाह का प्रकोप हुआ है? वे नतुममें से हैं और न उनमें से। और वे जानते-बूझते झूठी बात पर क़सम खाते हैं। (14)
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☆ अल्लाह ने उनके लिए कठोर यातना तैयार कर रखी है। निश्चय ही बुरा है जो वे कर रहे हैं। (15)
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☆ उन्होंने अपनी क़समों को ढाल बना रखा है। अतः वे अल्लाह के मार्ग से (लोगों को)रोकते हैं। तो उनके लिए रुसवाकरनेवाली यातना है। (16)
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☆ अल्लाह से बचाने के लिए न उनके माल उनके कुछ काम आएँगे और न उनकी सन्तान। वे आगवाले हैं। उसी में वे सदैव रहेंगे (17)
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☆ जिस दिन अल्लाह उन सबको उठाएगा तो वे उसके सामने भी इसी तरह क़समें खाएँगे, जिस तरह तुम्हारे सामने क़समें खाते हैं और समझते हैं कि वे किसी बुनियाद पर हैं। सावधान रहो, निश्चय ही वही झूठे हैं! (18)
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☆ उनपर शैतान ने पूरी तरह अपना प्रभाव जमा लिया है। अतःउसने अल्लाह की याद को उनसे भुला दिया। वे शैतान की पार्टीवाले हैं। सावधान रहो शैतान की पार्टीवाले ही घाटे में रहनेवाले हैं! (19)
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☆ निश्चय ही जो लोग अल्लाह और उसके रसूल का विरोध करते हैं वे अत्यन्त अपमानित लोगों में से हैं। (20)
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☆ अल्लाह ने लिख दिया है,"मैं और मेरे रसूल ही विजयी होकर रहेंगे।" निस्संदेह अल्लाह शक्तिमान, प्रभुत्वशाली है। (21)
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☆ तुम उन लोगों को ऐसा कभी नहीं पाओगे जो अल्लाह और अन्तिम दिन पर ईमान रखते हैं कि वे उन लोगों से प्रेम करते हों जिन्होंने अल्लाह और उसके रसूल का विरोध किया, यद्यपि वे उनके अपने बाप हों या उनके अपने बेटे हों या उनके अपने भाई या उनके अपने परिवारवाले ही हों। वही लोग हैं जिनके दिलों में अल्लाह ने ईमान को अंकित कर दिया है और अपनी ओर से एक आत्मा के द्वारा उन्हें शक्ति दी है। और उन्हें वह ऐसे बाग़ों में दाख़िल करेगा जिनके नीचे नहरें बह रही होंगी; जहाँ वे सदैव रहेंगे। अल्लाह उनसे राज़ी हुआ और वे भी उससे राज़ी हुए। वे अल्लाह की पार्टी के लोग हैं। सावधान रहो, निश्चय ही अल्लाह की पार्टीवाले ही सफल हैं।(22)
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