सुरु अल्लाह के नाम से
जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
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☆ उसने त्योरी चढ़ाई और मुँह फेर लिया, (1)
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☆ इस कारण कि उसके पास अन्धा आ गया। (2)
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☆ और तुझे क्या मालूम शायद वह स्वयं को सँवारता-निखारता और आत्मिक विकास प्राप्त करता हो। (3)
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☆ या नसीहत हासिल करता हो तो नसीहत उसके लिए लाभदायक हो? (4)
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☆ रहा वह व्यक्ति जो बेपरवाही करता है, (5)
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☆ तू उसके पीछे पड़ा है - (6)
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☆ हालाँकि वह अपने को न निखारे और चरित्रवान न हो तो तुझपर कोई ज़िम्मेदारी नहीं आती - (7)
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☆ और रहा वह व्यक्ति जो स्वयं ही तेरे पास दौड़ता हुआआया, (8)
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☆ और वह डरता भी है, (9)
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☆ तो तू उससे बेपरवाही करता है। (10)
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☆ कदापि नहीं, वे (आयतें) नसीहत और अनुस्मारक हैं - (11)
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☆ तो जो चाहे उसे याददिहानी हासिल कर ले - (12)
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☆ प्रतिष्ठित, उच्च, (13)
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☆ पवित्र पन्नों में अंकित हैं, (14)
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☆ ऐसे कातिबों के हाथों में रहा करते हैं। (15)
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☆ जो प्रतिष्ठित और नेक हैं।(16)
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☆ विनष्ट हुआ मनुष्य! कैसा अकृतज्ञ है! (17)
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☆ उसको किस चीज़ से पैदा किया? (18)
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☆ तनिक-सी बूँद से उसको पैदा किया, तो उसके लिए एक अंदाज़ा ठहराया, (19)
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☆ फिर मार्ग को देखो, उसे सुगम कर दिया, (20)
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☆ फिर उसे मृत्यु दी और क़ब्र में उसे रखवाया, (21)
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☆ फिर जब चाहेगा उसे (जीवित करके) उठा खड़ा करेगा। - (22)
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☆ कदापि नहीं, उसने उसको पूरा नहीं किया जिसका आदेश अल्लाह ने उसे दिया है। (23)
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☆ अतः मनुष्य को चाहिए कि अपने भोजन को देखे, (24)
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☆ कि हमने ख़ूब पानी बरसाया, (25)
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☆ फिर धरती को विशेष रूप से फाड़ा, (26)
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☆ फिर हमने उसमें उगाए अनाज, (27)
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☆ और अंगूर और तरकारी, (28)
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☆ और ज़ैतून और खजूर, (29)
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☆ और घने बाग़, (30)
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☆ और मेवे और घास-चारा, (31) _______________________________
☆ तुम्हारे लिए और तुम्हारे चौपायों के लिेए जीवन-सामग्री के रूप में। (32)
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☆ फिर जब वह बहरा कर देनेवाली प्रचंड आवाज़ आएगी, (33)
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☆ जिस दिन आदमी भागेगा अपने भाई से, (34)
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☆ और अपनी माँ और अपने बाप से, (35)
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☆ और अपनी पत्नी और अपने बेटों से। (36)
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☆ उनमें से प्रत्येक व्यक्ति को उस दिन ऐसी पड़ी होगी जो उसे दूसरों से बेपरवाह कर देगी। (37)
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☆ कितने ही चेहरे उस दिन रौशन होंगे, (38)
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☆ हँसते, प्रफुल्लित (39)
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☆ और कितने ही चेहरे होंगे जिनपर उस दिन धूल पड़ी होगी, (40)
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☆ उनपर कलौंस छा रही होगी। (41)
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☆ वही होंगे इनकार करनेवाले दुराचारी लोग! (42)
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