सुरु अल्लाह के नाम से
जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
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☆ साक्षी है चढ़ता दिन, (1)
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☆ और रात जबकि उसका सन्नाटा छा जाए। (2)
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☆ तुम्हारे रब ने तुम्हें न तो विदा किया और न वह बेज़ार (अप्रसन्न) हुआ। (3)
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☆ और निश्चय ही बाद में आनेवाली (अवधि) तुम्हारे लिए पहलेवाली से उत्तम है। (4)
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☆ और शीघ्र ही तुम्हारा रब तुम्हें प्रदान करेगा कि तुम प्रसन्न हो जाओगे। (5)
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☆ क्या ऐसा नहीं कि उसने तुम्हें अनाथ पाया तो ठिकाना दिया? (6)
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☆ और तुम्हें मार्ग से अपरिचित पाया तो मार्ग दिखाया? (7)
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☆ और तुम्हें निर्धन पाया तोसमृद्ध कर दिया? (8)
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☆ अतः जो अनाथ हो उसे मत दबाना, (9)
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☆ और जो माँगता हो उसे न झिड़कना, (10) _______________________________
☆ और जो तुम्हारे रब की अनुकम्पा है, उसे बयान करते रहो। (11)
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