सुरु अल्लाह के नाम से
जो बड़ा कृपाशील अत्यन्त दयावान है।
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☆ तुम्हें एक-दूसरे के मुक़ाबले में बहुतायत के प्रदर्शन और घमंड ने ग़फ़़लत में डाल रखा है, (1)
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☆ हाँ तक कि तुम क़ब्रिस्तानों में पहुँच गए।(2)
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☆ कुछ नहीं, तुम शीघ्र ही जानलोगे। (3)
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☆ फिर, कुछ नहीं, तुम्हें शीघ्र ही मालूम हो जाएगा - (4)
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☆ कुछ नहीं, अगर तुम विश्वसनीय ज्ञान के रूप में जान लो! (तो तुम धन-दौलत के पुजारी न बनो) - (5)
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☆ अवश्य ही तुम भड़कती आग से दो-चार होगे। (6)
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☆ फिर सुनो, उसे अवश्य देखोगे इस दशा में कि वह यथावत विश्वास होगा। (7)
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☆ फिर निश्चय ही उस दिन तुमसे नेमतों के बारे में पूछा जाएगा। (8)
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