एक बार की बात है
एक जंगल में सेब का एक बड़ा पेड़ था|
एक बच्चा रोज उस पेड़ पर खेलने आया करता था|
वह कभी पेड़ की डाली से लटकता
कभी फल तोड़ता कभी उछल कूद करता था,
सेब का पेड़ भी उस बच्चे से काफ़ी खुश रहता था|
कई साल इस तरह बीत गये|
अचानक एक दिन बच्चा कहीं चला गया
और फिर लौट के नहीं आया,
पेड़ ने उसका काफ़ी इंतज़ार किया
पर वह नहीं आया|
अब तो पेड़ उदास हो गया|
काफ़ी साल बाद वह बच्चा
फिर से पेड़ के पास आया
पर वह अब कुछ बड़ा हो गया था|
पेड़ उसे देखकर काफ़ी खुश हुआ
और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा|
पर बच्चा उदास होते हुए बोला
कि अब वह बड़ा हो गया है
अब वह उसके साथ नहीं खेल सकता|
बच्चा बोला -
की अब मुझे खिलोने से खेलना अच्छा लगता है
पर मेरे पास खिलोने खरीदने केलिए पैसे नहीं है|
पेड़ बोला उदास ना हो तुम मेरे फल तोड़ लो
और उन्हें बेच कर खिलोने खरीद लो|
बच्चा खुशी खुशी फल तोड़ के ले गया
लेकिन वह फिर बहुत दिनों तक वापस नहीं आया|
पेड़ बहुत दुखी हुआ|
अचानक बहुत दिनों बाद
बच्चा जो अब जवान हो गया था वापस आया,
पेड़ बहुत खुश हुआ
और उसे अपने साथ खेलने के लिए कहा
पर लड़के ने कहा
कि वह पेड़ के साथ नहीं खेल सकता
अब मुझे कुछ पैसे चाहिए क्यूंकी मुझे अपने बच्चों के लिए घर बनाना है|
पेड़ बोला मेरी शाखाएँ बहुत मजबूत हैं
तुम इन्हेंकाट कर ले जाओ
और अपना घर बना लो|
अब लड़के ने खुशी खुशी सारी शाखाएँ काट डालीं
और लेकर चला गया|
वह फिर कभी वापस नहीं आया|
बहुत दिनों बात जब वह वापिस आया
तो बूढ़ा हो चुका था
पेड़ बोला मेरे साथ खेलो पर वह बोला
की अब में बूढ़ा हो गया हूँ
अब नहीं खेल सकता|
पेड़ उदास होते हुए बोला
की अब मेरे पास ना फल हैं और ना ही लकड़ी
अब में तुम्हारी मदद भी नहीं कर सकता|
बूढ़ा बोला -
की अब उसे कोई सहायता नहीं चाहिए
बस एक जगह चाहिए
जहाँ वह बाकी जिंदगीआराम से गुजर सके|
पेड़ ने उसे अपने जड़ मे पनाह दी
और बूढ़ा हमेशा वहीं रहने लगा|
प्रेरक कहानी
मित्रों,
इसी पेड़ की तरह हमारे माता पिता भी होते हैं,
जब हम छोटे होते हैं
तो उनके साथ खेलकर बड़े होते हैं
और बड़े होकर उन्हें छोड़ कर चले जाते हैं
और तभी वापस आते हैं
जब हमें कोई ज़रूरत होती है|
धीरे धीरे ऐसे ही जीवन बीत जाता है|
हमें पेड़ रूपी माता पिता की सेवा करनी चाहिए
ना की सिर्फ़ उनसे फ़ायदा लेना चाहिए|
और मैं आशा करता हूँ
मेरा इस कहानी को लिखना जरूर सार्थक होगा
Insha ALLAH
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