Shuru Allah ke naamse,
jo bada Meharbaan
aur Nihayat Raham karne wala hai
हज़रते अबु बक़र सिद्दीक
नबी करीम स. अ. व. की वफात के बाद
हजरत अबु बकर रजि. अनहु ने
अपनी बेटी हजरत आयशा रजि. अनहुमा से पुछा
की नबी का कोई ऐसा अमल बताओ
आयशा ने फरमाया की वो रोज रोटी लेकर
इस तरफ पाहाडी परजाते थे
हजरत अबु बकर भी उधर ही चल दिये
काफी दूर जाने के बाद एक गुफा आई
जिसमे एक बूढा आदमी था
उसने पैरो की आवाज सुनकर कहा कोन
अबु बकर हो ?
हजरत ने पूछा
तुम कैसे जानते हो की मे अबुबकर हु
उसने कहा की
नबी करीम स. अ. व. ने फरमाया था |
कि मेरे बाद एक आदमी आयेगा तुमहारे पास
जो अबु बकर होगा इस लिये तुम वही हो ?
हजरत ने कहा
हजरत अबु बकर रजि. अनहु
देखकर उस आदमी का हैरान हुये
कयोकि वो मोहताज था
उसको कोढ की बीमारी थी
हजरत ने उसके मुह मे रोटी दी
उसने जोर से अहा भरी
हजरत ने पूछा कया हुआ ?
उसने कहा कोढ की वजहा से मेरा मुह खराब है
नबी तो मुझको रोटी अपने मुह मे चबाकर
फिर मेरे मुह अपना मुह डाल कर देते थे
ओर मुसलसल ४० साल तक ऐसे
खिलाया
यह बूढा गैर मुसलिम था
यह सब सुनकर अबु बकर रोने लेगे
अलहा हु अकबर मेरे नबी ने
गैर मुसलिमो को भी ऐसी बीमारी मे
ऐसे खिलाया
यही अखलाक आज हम को भी पैदा करने होगे
अलहा अमलकी तैफीक अता फरमाये आमीन
हज़रत मुहम्मद स०अ०व० ने फरमाया
जब आज़ान दी जाए तो हर काम छोड़ दो
यहाँ तक कि कुरान पढ़नाभी,
जो शख्स आज़ान के दरमियाँ बात करता है
तो मौत के वक्त उसे
कलमा नसीब नहीं होगा !
इसको एक दोस्त तक जरूर पहुँचाना क्यूंकि अच्छीबात बताना भी सदका है !i
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