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एक नन्हीं चिड़िया की प्रयास

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एक नन्हीं चिड़िया

बहुत समय पुरानी बात है,
एक बहुत घना जंगल हुआ करता था|
एक बार
किन्हीं कारणों से पूरे जंगल में भीषण आग लग गयी|
सभी जानवर देख के डर रहे थे की अब क्या होगा??
थोड़ी ही देर में जंगल में भगदड़ मच गयी
सभी जानवर इधर से उधर भाग रहे थे
पूरा जंगल अपनी अपनी जान बचाने में लगा हुआ था|
उस जंगल में एक नन्हीं चिड़िया रहा करती थी,
उसने देखा क़ि सभी लोग भयभीत हैं ,
जंगल में आग लगी है मुझे लोगों की मदद करनी चाहिए|
यही सोचकर वह जल्दी ही पास की नदी में गयी
और चोच में पानी भरकर लाई और आग में डालने लगी|
वह बार बार नदी में जाती और चोच में पानी डालती|
पास से ही एक उल्लू गुजर रहा था ,
उसने चिड़िया की इस हरकत को देखा ,
और मन हीमन सोचने लगा
बोला क़ि ये चिड़िया कितनी मूर्ख है ,
इतनी भीषण आग को ये चोंच में पानी भरकर कैसे बुझा सकती है|
यही सोचकर वह चिड़िया के पास गया
और बोला कि तुम मूर्ख हो
इस तरह से आग नहीं बुझाई जा सकती है|
चिड़िया ने बहुत विनम्रता के साथ उत्तर दिया-
“मुझे पता है कि मेरे इस प्रयास से कुछ नहीं होगा
लेकिन मुझे अपनी तरफ से best करना है,
आग कितनी भी भयंकर हो
लेकिन मैं अपना प्रयास नहीं छोड़ूँगी
”उल्लू यह सुनकर बहुत प्रभावित हुआ|

तो मित्रों,
(My Dear Friend)
यही बात हमारे जीवन पर भी लागू होती है|
जब कोई परेशानी आती है तो इंसान घबराकर हार मान लेता है
लेकिन हमें बिना डरे प्रयास करते रहना चाहिए
यही इस कहानी की शिक है
और मैं आशा करता हूँ
मेरा इस कहानी को लिखना जरूर सार्थक होगा
Insha ALLAH

माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं

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* माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं *

~¤ बच्चा के मासूमियत ने  एक बहुत बढ़ा सबक  दिया  ।¤~

किसी गाँव में एक बूढ़ा व्यक्ति अपने बेटे और बहु के साथ रहता था ।
परिवार सुखी संपन्न था किसी तरह की कोई परेशानी नहीं थी ।
बूढ़ा बाप जो किसी समय अच्छा खासा नौजवान था आज बुढ़ापे से हार गया था,
चलते समय लड़खड़ाता था लाठी की जरुरत पड़ने लगी,
चेहरा झुर्रियों से भर चूका था
बस अपना जीवन किसी तरह व्यतीत कर रहा था।
घर में एक चीज़ अच्छी थी
कि शाम को खाना खाते समय पूरा परिवार
एक साथ टेबल पर बैठ कर खाना खाता था ।
एक दिन ऐसे ही शाम को जब सारे लोग खाना खाने बैठे ।
बेटा ऑफिस से आया था भूख ज्यादा थी
सो जल्दी से खाना खाने बैठ गया
और साथ में बहु और एक बेटा भी खाने लगे ।
बूढ़े हाथ जैसे ही थाली उठाने को हुए
थाली हाथ से छिटक गयी थोड़ी दाल टेबल पे गिर गयी ।
बहु बेटे ने घृणा द्रष्टि से पिता की ओर देखा
और फिर से अपना खाने में लग गए।
बूढ़े पिता ने जैसे ही अपने हिलते हाथों से
खाना खाना शुरू किया
तो खाना कभी कपड़ों पे गिरता कभी जमीन पर ।
बहु चिढ़ते हुए कहा –
हे राम कितनी गन्दी तरह से खाते हैं मन करता है
इनकी थाली किसी अलग कोने में लगवा देते हैं ,
बेटे ने भी ऐसे सिर हिलाया
जैसे पत्नीकी बात से सहमत हो ।
बेटा यहसब मासूमियत से देख रहा था ।
अगले दिन पिता की थाली
उस टेबल से हटाकर एक कोने में लगवा दी गयी ।
पिता की डबडबाती आँखे
सब कुछ देखतेहुए भी कुछ बोल नहीं पा रहीं थी।
बूढ़ा पिता रोज की तरह खाना खाने लगा ,
खाना कभी इधर गिरता कभी उधर ।
छोटा बच्चा अपना खाना छोड़कर ,
लगातार अपने दादा कीतरफ देख रहा था ।
माँ ने पूछा क्या हुआ बेटे तुम दादा जी की तरफ
क्या देख रहे हो और खाना क्यों नहीं खा रहे ।
बच्चा बड़ी मासूमियत से बोला –
माँ मैं सीख रहा हूँ ,
कि वृद्धों के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए,
जब मैं बड़ा हो जाऊँगा और आप लोग बूढ़े हो जाओगे
तो मैं भी आपको इसी तरह कोने में खाना खिलाया करूँगा ।
बच्चे के मुँह से ऐसा सुनते ही बेटे और बहु दोनों काँप उठे
शायद बच्चेकी बात उनके मन में बैठ गयी थी
क्युकी बच्चा ने मासूमियत के साथ ,
एक बहुत बढ़ा सबक दोनों लोगो को दिया था ।
बेटे ने जल्दी से आगे बढ़कर पिता को उठाया
और वापस टेबल पे खाने के लिए बिठाया
और बहु भी भाग कर पानी का गिलास लेकर आई
कि पिताजी को कोई तकलीफ ना हो ।|

तो मित्रों ,
माँ बाप इस दुनियाँ की सबसे बड़ी पूँजी हैं
आप समाज में कितनी भी इज्जत कमा लें या कितना भी धन इकट्ठा कर लें
लेकिन माँ बाप से बड़ा धन इस दुनिया में कोई नहीं है
यही इस कहानी की शिक्षा है और मैं आशा करता हूँ
मेरा इस कहानी को लिखना जरूर सार्थक होगा
Insha ALLAH

कर्सनभाई पटेल : Ahmadabad Gujra

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सबकी पसंद निरमा।
वार्सिंग पाउडर निरमा...निरमा

कर्सनभाई पटेल : Ahmadabad Gujrat

सबकी पसंद निरमा। वार्सिंग पाउडर निरमा...!!कर्सनभाई पटेल एक किसान के बेटे, और इन्होने केमेस्ट्रीमें BSC की थी। गुजरात के एक शहर अहमदाबाद में इन्होने अपने करियर की शुरुआत की थी। उनकी सैलरी इतनी ज्यादा नहीं थी तो कुछ ज्यादा कमाने की कुछ बहतर करने की इच्छा थी।तो उन्होंने अपने स्किल्स को छान-बीन किया केमेस्ट्री में वो पढ़े लिखे थे, उसके बाद उन्होंने जॉब की थी जिसके साथ इनकी केमिकल्स में नॉलेज और अच्छा हो गया।तो उन्होंने जांच किया कि मेरी स्किल्स है: केमिकल में नॉलेज। फिर उन्होंने अपने स्किल्स के हिसाब से अपने अवसर को ढूँढना शुरू किया।उस समय पे 1960 में उन्होंने यह पता किया की वाशिंग पौदर्स बहुत महंगे है। और सारी कंपनी जोमार्किट है वो विदेशी है।और वाशिंग पाउडर के महंगे होने के वजह से, ज्यादातर माध्यम वर्ग के परिवार इतने महगे पाउडर खरीद नहीं पाते थे।फिर उन्होंने अपने स्किल्स और अवसर को मिलाया और अपने केमेस्ट्री के नॉलेज को उपयोग करते हुए बना डाला एक सस्ता और अच्छा वाचिंग पाउडर..। निरमा।कर्सनभाई पटेल जब जॉब पर जाते थे और वापस आते थे तो अपने साइकिल पर घर-घर में अपना बनाया हुआ वाशिंग पाउडर बेचते हुए जाते।उन्होंने वाशिंग पाउडर की कीमत 3 रूपए1 किल्लो ग्राम रखी थी। जबकि उस समय पे मार्केट में जो बाकि कंपनी के पाउडर थे उनकी कम से कम कीमत 30 रूपए थी।और क्योंकि उनको अपने क्वालिटी पर भरोसा था तो उन्होंने पैसे वापस करने की गारंटी भी देदी। खुद ही प्रोडक्ट बनाते थे। खुद ही प्रोडक्ट बेचते थे। और ऐसे अपनी रोज-रोज की महनत एक साथ वो अहमदाबाद की माध्यम वर्ग के लोगो में बिचमें अपने वाशिंग पाउडर को फेमस करते गये।लोग इस सस्ते और अच्छे पाउडर को ही खरीदने की इच्छा रखते थे। और धीरे-धीरे निरमा भारत के टॉप ब्रांड्स में आ गया।

1969 में घर-घर जाकर अपने साइकिल पे वाशिंग पाउडर बेचने वाले आज 600 मिलियन डॉलर

(38459970000.00 भारतीय रूपए) से ज्यादा के  मालिक है।

एक आदमी से शुरू की हुई निरमा में आज 14,000 लोग काम करते है।

यहप्रेरक कहानी(motivational story),

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